महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 120 श्लोक 41-47

विंशत्‍यधिकशततम (120) अध्याय: द्रोण पर्व (जयद्रथवध पर्व)

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महाभारत: द्रोण पर्व: विंशत्‍यधिकशततम अध्याय: श्लोक 41-47 का हिन्दी अनुवाद

तब सात्‍यकि ने एक साथ विजय के लिये प्रयत्न करने वाले उन समस्‍त शूरवीर महारथियों को पुन: पांच-पांच बाणों से घायल कर दिया। तत्‍पश्चात रथियों में श्रेष्ठ सात्‍यकि ने आपके पुत्र के सारथि के ऊपर शीघ्र ही एक भल्‍ल का प्रहार किया। सारथि उसके द्वारा मारा जाकर पृथ्‍वी पर गिर पड़ा। प्रभो! उस सारथि के धराशायी होने पर आपके पुत्र का रथ हवा के समान तीव्र वेग से भागने वाले घोड़ों द्वारा युद्ध स्‍थल से दूर हटा दिया गया।

राजन! प्रजानाथ! तदनन्‍तर आपके पुत्र और सैनिक राजा दुर्योधन के रथ की वैसी दशा देखकर सैकड़ों संख्‍या में भाग खड़े हुए। भारत! आपकी सेना को भागती देख सात्‍यकि ने सान पर चढ़ाकर तेज किये हुए सुवर्णमय पंख वाले तीखे बाणों की वर्षा आरम्‍भ कर दी। राजन! इस प्रकार आपके सहस्‍त्रों सैनिकों को भगाकर सात्‍यकि श्‍वेतवाहन अर्जुन के रथ की ओर चल दिये। आर्य। महाबाहु सात्‍यकि को आगे जाते देखकर आपके सैनिक उस देखी हुई घटना को भी अनदेखी करके दूसरे काम में लग गये। सात्‍यकि बाणों को ग्रहण करते हुए अपनी और सारथि की भी रक्षा करते थे। उनके इस कार्य की आपके सैनिकों ने भी भूरी-भूरी प्रशंसा की।

इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्‍तर्गत जयद्रथवधपर्व में सात्‍यकि का शत्रुसेना में प्रवेश और दुर्योधन का पलायनविषयक एक सौ बीसवां अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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