महाभारत द्रोणपर्व अध्याय 170 श्लोक 61-70

सप्‍तत्‍यधिकशततम (170) अध्याय: द्रोण पर्व (घटोत्कचवध पर्व)

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महाभारत: द्रोणपर्व: सप्तत्यधिकशततम अध्याय: श्लोक 60-70 का हिन्दी अनुवाद

संजय बोले- राजन! जैसे इन्द्र समरागंण में परमयशस्वी भगवान विष्णु से कोई बात कहते हैं, उसी प्रकार आपके पुत्र दुर्योधन ने कर्ण की सलहा मानकर सुबलपुत्र शकुनि से इस प्रकार कहा- ‘मामा! तुम युद्ध से पीछे न हटने वाले दस हजार हाथियों और उतने ही रथों के साथ तुरंत ही अर्जुन का सामना करने के लिये जाओ। दुःशासन, दुर्विषह, सुबाहु और दुष्प्रधर्षण- ये (महारथी) बहुत से पैदल सैनिकों को साथ लेकर तुम्हारे पीछे-पीछे जायँगे। मेरे महाबाहु मामा! तुम श्रीकृष्ण, अर्जुन, धर्मराज युधिष्ठिर, नकुल, सहदेव तथा भीमसेन को भी मार डालो। मामा! जैसे देवताओं की आशा देवराज इन्द्र पर लगी रहती है, उसी प्रकार मेरी विजय की आशा तुम पर अवलम्बित है। जैसे अग्निकुमार स्कन्द ने असुरों का संहार किया था, उसी प्रकार तुम भी कुन्तीकुमारों का वध करो'।

प्रभो! आपके पुत्र दुर्योधन के ऐसा कहने पर शकुनि विशाल सेना और आपके अन्य पुत्रों के साथ कुन्तीकुमारों का सामना करने के लिये गया। वह आपके पुत्रों का प्रिय करने के लिये पाण्डवों को भस्म कर देना चाहता था। फिर तो आपके योद्धाओं का शत्रुओं के साथ घोर युद्ध आरम्भ हो गया। राजन! जब शकुनि पाण्डव सेना की ओर चला गया, तब विशाल सेना के साथ सूतपुत्र कर्ण ने युद्धस्थल में कई सौ बाणों की वर्षा करते हुए तुरंत ही सात्यकि पर आक्रमण किया। इसी प्रकार अन्य सब राजाओं ने भी सात्यकि को घेर लिया। भारत! तदनन्तर द्रोणाचार्य ने धृष्टद्युम्न के रथ पर आक्रमण किया। उस रात्रि के समय वीर धृष्टद्युम्न और पाञ्चालों के साथ द्रोणाचार्य का महान एवं अद्भुत युद्ध हुआ। इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्‍तर्गतघटोत्‍कचवध पर्व में रात्रियुद्ध के अवसर पर संकुल युद्ध विषयक एक सौ सत्तरवां अध्‍याय पूरा हुआ ।।170।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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