एकोनसप्ततितम (69) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: एकोनसप्ततितम अध्याय: श्लोक 19-24 का हिन्दी अनुवाद
मैंने कभी अर्जुन से विरोध किया हो, इसका स्मरण नहीं है; इस सत्य के प्रभाव से यह मरा हुआ बालक अभी जीवित हो जाय। यदि मुझमें सत्य और धर्म की निरन्तर स्थिति बनी रहती हो तो अभिमन्यु का यह मरा हुआ बालक जी उठे। मैने कंस और केशी का धर्म के अनुसार वध किया है, इस सत्य के प्रभाव से यह बालक फिर जीवित हो जाये।’ भरतश्रेष्ठ! महाराज! भगवान श्रीकृष्ण के ऐसा कहने पर उस बालक में चेतना आ गयी। वह धीरे-धीरे अंग-संचालन करने लगा।
इस प्रकार श्री महाभारत आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में परीक्षित को जीवनदान विषयक उनहत्तरवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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