चतुर्दशाधिकद्विशततम (214) अध्याय: आदि पर्व (अर्जुनवनवास पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: चतुर्दशाधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 22-27 का हिन्दी अनुवाद
पाण्डुनन्दन! इसी शर्त के अनुसार आप इसे ग्रहण करें।’ ‘तथास्तु’ कहकर अर्जुन ने वैसा ही करने की प्रतिज्ञा की और उस कन्या का पाणिग्रहण करके उन्होंने तीन वर्षों तक उसके साथ उस नगर में निवास किया। उसके गर्भ से पुत्र उत्पन्न हो जाने पर उस सुन्दरी को हृदय से लगाकर अर्जुन ने विदा ली तथा राजा चित्रवाहन से पूछकर वे पुन: तीर्थों में भ्रमण करने के लिये चल दिये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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