षट्षष्टितम (66) अध्याय: वन पर्व (नलोपाख्यान पर्व)
महाभारत: वन पर्व: षट्षष्टितम अध्याय: श्लोक 20-26 का हिन्दी अनुवाद
नरेश्वर! जब आप अपने (पहले वाले) रूप को देखना चाहें, उस समय मेरा स्मरण करें और इस कपड़े को ओढ़ लें। इस वस्त्र से आच्छादित होते ही आप अपना पहला रूप प्राप्त कर लेंगे।’ ऐसा कहकर नाग ने उन्हें दो दिव्य वस्त्र प्रदान किये। कुरुनन्दन युधिष्ठिर! इस प्रकार राजा नल को संदेश और वस्त्र देकर नागराज कर्कोटक वहीं अन्तर्धान हो गया।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत नलोपाख्यानपर्व में नल-कर्कोटक संवाद विषयक छाछठवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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