त्रयस्त्रिंश (33) अध्याय: आश्रमवासिक पर्व (पुत्रदर्शन पर्व)
महाभारत: आश्रमवासिक पर्व: त्रयस्त्रिंश अध्याय: श्लोक 22-31 का हिन्दी अनुवाद
संग्राम में मरे हुए राजाओं के पुनरागमन का वृत्तान्त सुनकर भिन्न-भिन्न देश के मनुष्यों को बड़ा आश्चर्य और आनन्द हुआ। जो मनुष्य कौरव-पांडवों के प्रियजन समागम का यह वृत्तान्त भली-भाँति सुनेगा, उसे इहलोक और परलोक में भी प्रिय वस्तु की प्राप्ति होगी। इतना ही नहीं, उसका अनायास ही इष्ट बन्धुओं से मिलन होगा तथा कोई दुःख-शोक नहीं सतावेगा। धर्मज्ञों में श्रेष्ठ जो विद्वान विद्वानों को यह प्रसंग सुनायेगा, वह इस लोक में यश और परलोक में शुभ गति प्राप्त करेगा। भारत! जो मनुष्य स्वाध्यायपरायण, तपस्वी, सदाचारी, जितेन्द्रिय, दान के द्वारा पापरहित, सरल, शुद्ध, शान्त, हिंसा और असत्य से दूर, आस्तिक, श्रद्धालु और धैर्यवान हैं, वे इस आश्चर्यजनक पर्व को सुनकर उत्तम गति प्राप्त करेंगे।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्रमवासिक पर्व के अन्तर्गत पुत्र दर्शन पर्व में स्त्रियों का अपने-अपने पति के लोक में गमन विषयक तैंतीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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