हरि (महाभारत संदर्भ)

  • हरिरर्च्यतमो मत:। [1]

हरि (विष्णु) को पूजनीयतम माना गया है।

  • नाल्पेन कार्येण प्रबोध्यो मधुसूदन:। [2]

छोटे से कार्य के लिये ईश्वर को नहीं पुकारना चाहिये।

  • सर्वेषामेव भूतानां पिता माता च माधव:। [3]

माधव सभी प्राणियों का माता-पिता है। (माधव का अर्ध है माँ का पति)

  • रामस्ते सुमहद् दु:खं शोकं चैवापनेष्यति। [4]

राम तेरे महान् दु:ख और शोक को दूर करेंगे।

  • आत्मा हि पुरुषव्याघ्र ज्ञेयो विष्णुरिति स्थिति:। [5]

पुरुषव्याघ्र्! आत्मा ही विष्णु है यह वास्तविक स्थिति है।

  • मनीषितं च प्राप्नोति चिंतयन् पुरुषोत्तमम्। [6]

भवगवान् का चिंतन करने से मनुष्य की मन की कामना पूरी होती है।

  • विछिन्नतृष्णानां योगक्षेमवहो हरि:। [7]

तृष्णारहित लोगों के योगक्षेम का वहन भगवान् विष्णु करते हैं।

  • ससंशयान् हेतुबलान् नाध्यावसति माधव:। [8]

संशय और कुतर्क करने वालों में भगवान् का वास नहीं है।

  • वासुदेव: समुद्धर्ता भविता ते जनादेन:। [9]

जनाद्रन वासुदेव तुम्हारा उद्धार करेंगे।

  • यत्र कृष्णो हि भगवांस्तत्र पुष्टिरनुत्तमा। [10]

जहाँ भगवान् कृष्ण है वहाँ सर्वोत्तम पुष्टि है।

  • धर्मस्य प्रभुरच्युत:। [11]

धर्म के स्वामी अच्युत (विष्णु) हैं।

  • वेदा: शास्त्राणि विज्ञानमेतत् सर्वं जनाद्रनात्। [12]

वेद, शास्त्र और विज्ञान से सब विष्णु से उत्पन्न हुये हैं।

  • यत: कृष्णस्ततो धर्मो यतो धर्मस्ततो जय:।[13]

जहाँ कृष्ण है वहाँ धर्म है, जहाँ धर्म है, वहाँ विजय हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व महाभारत38.17
  2. वनपर्व महाभारत47.22
  3. वनपर्व महाभारत189.57
  4. उद्योगपर्व महाभारत176.25
  5. शांतिपर्व महाभारत346.8
  6. शांतिपर्व महाभारत348.71
  7. शांतिपर्व महाभारत348.72
  8. शांतिपर्व महाभारत349.71
  9. अनुशासनपर्व महाभारत70.25
  10. अनुशासनपर्व महाभारत148.35
  11. अनुशासनपर्व महाभारत149.137
  12. अनुशासनपर्व महाभारत149.139
  13. अनुशासनपर्व महाभारत168.41

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