पति (महाभारत संदर्भ)

  • पतिस्नेहोतिबलवान् न तथा भ्रातृसौह्रदम्।[1]

पति से अति प्रेम होता है वैसा भाई से नहीं होता है।

  • भर्तव्या रक्षणीय च पत्नी पत्या हि सर्वदा।[2]

पति को सदा पत्नी का भरण-पोषण और रक्षा करनी चाहिये।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आदिपर्व महाभारत 151.19
  2. वनपर्व महाभारत 69.41

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