- मा राजन् कल्मषं घोरं प्रविशो बुद्धिनाशनम्।[1]
राजन्! बुद्धि को नष्ट करने वाले भयंकर मोह में मत पड़ो।
- महामोहे सुखे मग्नो नात्मानवबुध्यते।[2]
महामोह के सुख में मग्न आत्मा को नहीं जान पाता।
- सुप्रज्ञमपि चेच्छ्ररमृद्धिर्मोहयते नरम्।[3]
समृद्धि महाज्ञानी और शूरवीर को भी मोह में डाल देती है।
- धर्मानसूयंते बुद्धिमोहांविता नरा:।[4]
बुद्धि में मोह होने के कारण लोग धर्म में दोष देखते हैं।
- मोहवशमापन्न: क्रूरं कर्म निषेवते।[5]
मोह के वश में मनुष्य क्रूर (दयारहित) कर्म करता है।
- मुह्मता तु मनुष्येण प्रष्टव्या: सुह्रदो जना:।[6]
भ्रम की स्थिती में हितैषी मित्रों से समाधान पूछ लेना चाहिये।
- प्रज्ञानाशात्मको मोहस्तथा धर्मार्थनाशक:।[7]
बुद्धि के नाश को ही मोह करते हैं, वह धर्म और धन का नाश करता है।
- मूलं लोभस्य मोह:।[8]
लोभ का मूल कारण मोह है।
- अज्ञानप्रभवो मोह: पापाभ्यासात् प्रवर्तते।[9]
अज्ञान से मोह उत्पन्न होता है और पुन: पुन: पाप करने से बढ़ता है।
- मृत्युमापद्यते मोहात्।[10]
ऋजु मोह से मृत्यु को प्राप्त होता है।
- यथासंज्ञो ह्मयं सम्यगंतकाले न मुह्मति।[11]
समुचित प्रकार से जान लेने पर मनुष्य को अंत काल में मोह नहीं होता।
- स्तम्भो भवेद् बाल्यान्नास्ति स्तम्भोऽनुपश्यत:।[12]
अविवेक के कारण मोह होता है, जानने वाले को मोह नहीं होता।
- न वै प्राज्ञो मुह्मति मोहकाले।[13]
मोह की परिस्थिति आने पर भी ज्ञानी मोह में नहीं पड़ता।
- मोहाद् विमुक्यस्य भयं नास्ति कुतश्चन।[14]
जो मोह से मुक्त हो गया है उसे कहीं से कोई भय नहीं है।
- मोहजालावृतो दु:खमिह चामुत्र सोऽनुश्ते।[15]
मोह के जाल में फँसा हुआ इसलोक और परलोक में दु:ख पाता है।
- मोहान्मरणमप्रियम्।[16]
मोह के कारण मरना अप्रिय लगता है।
- श्रिया ह्मभीक्ष्णं संवासो दर्पयेत् सम्मोहयेत्।[17]
निरंतर लक्ष्मी पास रहे तो अभिमान और मोह हो जाता है।
- मोहमेव नियच्छंति कर्मणा ज्ञानवर्जिता:।[18]
ज्ञान से रहित लोग कर्म करके अपना मोह ही बढ़ाते हैं।
- अभिष्वंगस्तु कामेषु महामोह इति स्मृत:।[19]
भोगों में आसक्ति को महामोह कहा जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सभापर्व महाभारत 46.24
- ↑ वनपर्व महाभारत 2.70
- ↑ वनपर्व महाभारत 181.30
- ↑ वनपर्व महाभारत 207.68
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत 72.32
- ↑ सौप्तिकपर्व महाभारत 2.30
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 123.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 159.11
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 163.11
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 175.30
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 217.13
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 222.14
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 226.19
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 245.17
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 329.9
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 330.16
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 61.20
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 20.7
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 36.32
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