- नियच्छेदं मन: पापाद्।[1]
इस मन को पाप से रोको।
- धर्मोपघाताद्धि मन: समुपतप्यते।[2]
धर्म में बाधा डालने से मन को पीड़ा होती है।
- चित्तस्य हि प्रसादेन हंति कर्म शुभाशुभम्।[3]
मन के पवित्र हो जाने पर सभी पाप-पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
- मनो दुर्निग्रहं चलम्।[4]
चंचल मन को रोकना अतिकठिन है।
- मनसा निश्चयं कृत्वा ततो वाचाभिधीयते।[5]
पूर्व मन से निश्चय करके पश्चात् वाणी के द्वारा बोला जाता है।
- मनो यम्य न शोचन्ति।[6]
मन को वश में रखने से शोक नहीं करना पड़ता।
- इहैव तैर्जित: सर्गो येषां साम्ये स्थितं मन:।[7]
जिनका मन समता में स्थित है उन्होंने जीते जी संसार को जीत लिय।
- मनसि व्याकुले चक्षु: पश्यन्नपि न पश्यति।[8]
मन व्याकुल हो तो आँखे देखती हुई भी नहीं देख पाती हैं।
- सर्वेषु भूतेषु मनसा शिवमाचरेत्।[9]
ऋजु मन से सभी का कल्याण सोचता रहे।
- मन: सुनियतं यस्य स सुखी प्रेत्य चेह च।[10]
जिसका मन वश में है वह इस लोक और परलोक में सुखी है।
- मनसा क्लिश्यमानस्तु समाधानं च कारयेत्।[11]
मन में कोई क्लेश हो तो उसका समाधान करना चाहिये।
- बुद्धिं मनोऽन्वेति।[12]
मन बुद्धि का अनुसरण करता है।
- मनो बुद्ध्या निगृह्णीयाद् विषयान्मनसात्मन:।[13]
बुद्धि के द्वारा मन को और मन के द्वारा अपनी इंद्रियों को रोके।
- मनस्तु पूर्वमादद्यात् कुमीनमिव मत्स्यहा।[14]
पहले मन वश में करें जैसे मछलीमार पहले दुष्ट मछली को मारता है।
- पूर्वरात्रेऽपररात्रे च धारयीत मनोऽऽत्मनि।[15]
रात के प्रथम और अंतिम भाग में, मन को आत्मा में धारण करें।
- मानसं सर्वभूतेषु वर्तते वै शुभाशुभम्।[16]
सभी के मन में शुभ और अशुभ विचार आते रहते हैं।
- मनो जित्वा ध्रुवो जय:।[17]
मन को जीत लेने पर जीत निश्चित है।
- मनसश्च गुणश्चिन्ता प्रज्ञया स तु ग्रह्मते।[18]
मन का काम है सोचना, और वह मन बुद्धि से वश में किया जाता है।
- ह्रदिस्थश्चेतनो धातुर्मनोज्ञाने विधीयते।[19]
हृदय में रहने वाला चेतन आत्मा सोचते में मन की सहायता करता है।
- यच्चितं तन्मयो वश्यम्।[20]
जिसका चित्त जिसमें लगा है वह उसी का स्वरूप हो जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आदिपर्व महाभारत 178.21
- ↑ सभापर्व महाभारत 22.3
- ↑ वनपर्व महाभारत 213.24
- ↑ वनपर्व महाभारत 260.25
- ↑ वनपर्व महाभारत 294.28
- ↑ वनपर्व महाभारत 313.76
- ↑ भीष्मपर्व महाभारत 29.19
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 187.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 193.31
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 194.37
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 195.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 202.21
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 215.18
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 240.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 306.13
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 309.19
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 30.5
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 43.34
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 43.34
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 51.27
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