मन (महाभारत संदर्भ)

  • नियच्छेदं मन: पापाद्।[1]

इस मन को पाप से रोको।

  • धर्मोपघाताद्धि मन: समुपतप्यते।[2]

धर्म में बाधा डालने से मन को पीड़ा होती है।

  • चित्तस्य हि प्रसादेन हंति कर्म शुभाशुभम्।[3]

मन के पवित्र हो जाने पर सभी पाप-पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

  • मनो दुर्निग्रहं चलम्।[4]

चंचल मन को रोकना अतिकठिन है।

  • मनसा निश्चयं कृत्वा ततो वाचाभिधीयते।[5]

पूर्व मन से निश्चय करके पश्चात् वाणी के द्वारा बोला जाता है।

  • मनो यम्य न शोचन्ति।[6]

मन को वश में रखने से शोक नहीं करना पड़ता।

  • इहैव तैर्जित: सर्गो येषां साम्ये स्थितं मन:।[7]

जिनका मन समता में स्थित है उन्होंने जीते जी संसार को जीत लिय।

  • मनसि व्याकुले चक्षु: पश्यन्नपि न पश्यति।[8]

मन व्याकुल हो तो आँखे देखती हुई भी नहीं देख पाती हैं।

  • सर्वेषु भूतेषु मनसा शिवमाचरेत्।[9]

ऋजु मन से सभी का कल्याण सोचता रहे।

  • मन: सुनियतं यस्य स सुखी प्रेत्य चेह च।[10]

जिसका मन वश में है वह इस लोक और परलोक में सुखी है।

  • मनसा क्लिश्यमानस्तु समाधानं च कारयेत्।[11]

मन में कोई क्लेश हो तो उसका समाधान करना चाहिये।

  • बुद्धिं मनोऽन्वेति।[12]

मन बुद्धि का अनुसरण करता है।

  • मनो बुद्ध्या निगृह्णीयाद् विषयान्मनसात्मन:।[13]

बुद्धि के द्वारा मन को और मन के द्वारा अपनी इंद्रियों को रोके।

  • मनस्तु पूर्वमादद्यात् कुमीनमिव मत्स्यहा।[14]

पहले मन वश में करें जैसे मछलीमार पहले दुष्ट मछली को मारता है।

  • पूर्वरात्रेऽपररात्रे च धारयीत मनोऽऽत्मनि।[15]

रात के प्रथम और अंतिम भाग में, मन को आत्मा में धारण करें।

  • मानसं सर्वभूतेषु वर्तते वै शुभाशुभम्।[16]

सभी के मन में शुभ और अशुभ विचार आते रहते हैं।

  • मनो जित्वा ध्रुवो जय:।[17]

मन को जीत लेने पर जीत निश्चित है।

  • मनसश्च गुणश्चिन्ता प्रज्ञया स तु ग्रह्मते।[18]

मन का काम है सोचना, और वह मन बुद्धि से वश में किया जाता है।

  • ह्रदिस्थश्चेतनो धातुर्मनोज्ञाने विधीयते।[19]

हृदय में रहने वाला चेतन आत्मा सोचते में मन की सहायता करता है।

  • यच्चितं तन्मयो वश्यम्।[20]

जिसका चित्त जिसमें लगा है वह उसी का स्वरूप हो जाता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आदिपर्व महाभारत 178.21
  2. सभापर्व महाभारत 22.3
  3. वनपर्व महाभारत 213.24
  4. वनपर्व महाभारत 260.25
  5. वनपर्व महाभारत 294.28
  6. वनपर्व महाभारत 313.76
  7. भीष्मपर्व महाभारत 29.19
  8. शांतिपर्व महाभारत 187.16
  9. शांतिपर्व महाभारत 193.31
  10. शांतिपर्व महाभारत 194.37
  11. शांतिपर्व महाभारत 195.16
  12. शांतिपर्व महाभारत 202.21
  13. शांतिपर्व महाभारत 215.18
  14. शांतिपर्व महाभारत 240.16
  15. शांतिपर्व महाभारत 306.13
  16. शांतिपर्व महाभारत 309.19
  17. आश्वमेधिकपर्व महाभारत 30.5
  18. आश्वमेधिकपर्व महाभारत 43.34
  19. आश्वमेधिकपर्व महाभारत 43.34
  20. आश्वमेधिकपर्व महाभारत 51.27

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