आत्महत्या (महाभारत संदर्भ)

  • आत्महा च पुमांस्तात न लोकाँल्लभते शुभान्। [1]

तात! आत्महत्या करने वाले को शुभस्थान की प्राप्ति नहीं होती।

  • मूढो हन्यादात्मानमात्मना। [2]

मूढ़ आत्महत्या भी कर सकता है।

  • आत्मत्यागी ह्यधो याति वाच्यतां चायशस्करीम्।[3]

आत्महत्या करने वाले का पतन, निंदा तथा अपयश होता है।

  • रोषान्वितो जन्तुर्हन्यादात्मानमपि। [4]

क्रोध में प्राणी आत्महत्या भी कर सकता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आदिपर्व महाभारत 178.20
  2. वनपर्व महाभारत 58.11
  3. वनपर्व महाभारत 252.2
  4. द्रोणपर्व महाभारत 156.95

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