आत्मा का आवास स्थान (महाभारत संदर्भ)

  • आत्मा पुरुषव्याघ्र भ्रुवोरन्तरमाश्रित:। [1]

नरश्रेष्ठ! आत्मा का स्थान दोनों भौंहों के बीच में है।

  • आत्मा रुद्रो हृदये मानवानाम्। [2]

मानवों के हृदय में रुद्र आत्मा के रूप में रहता है।

  • श्रितो मूर्धानमात्मा। [3]

आत्मा का स्थान मस्तक में है।

  • मनश्चापि सदा युड़्क्ते भूतात्मा हृदयाश्रित:। [4]

हृदय में रहने वाला जीवात्मा सदा मन पर शासन किया करता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व महाभारत 181.22
  2. शान्तिपर्व महाभारत 73.19
  3. शान्तिपर्व महाभारत 185.3
  4. शान्तिपर्व महाभारत 239.1 ; हृदय मन को भी कहते हैं तथा वक्ष:स्थल में विराजमान रक्तशोधन यंत्र को भी। ऋजु का हृदय सरल कहा जता है तब उसका अर्थ होता है कि मन सरल है। आत्मा का स्थान मस्तक ही है, वक्ष:स्थल नहीं।

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