- न श्रेय: सततं तेजो न नित्यं श्रेयसी क्षमा। [1]
कभी भी क्षमा न करना और सदा क्षमा करते रहना दोनों ठीक नहीं।
- यो नित्यं क्षमते तात बहून् दोषान् स विंदति। [2]
जो सदा क्षमा करता रहता है उसे अनेक दोष प्राप्त होते हैं।
- नित्यं क्षमा तात पण्डितैरपि वर्जिता। [3]
सदा क्षमा करते रहने को विद्वानों ने भी वर्जित किया है।
- अबुध्दिमाश्रितानां तु क्षंतव्यमपराधिनाम्। [4]
अनजाने में किया गया अपराध क्षमा के योग्य होता है।
- सर्वस्यैकोपराधस्ते क्षंतव्य:। [5]
सभी प्राणियों का एक अपराध क्षमा कर देना चाहिये।
- लोकभयाच्चैव क्षंतव्यमपराधिन:। [6]
कभी-कभी समाज के भय से भी अपराधी को क्षमा कर देना चाहिये।
- क्षंतव्यं पुरुषेणेह सर्वापत्सु। [7]
सभी आपत्तियों के समय में पुरुष को क्षमा कर देना चाहिये।
- यदा हि क्षमते सर्वं ब्रह्म संपद्यते तदा। [8]
ऋजु जब सबकुछ सहन कर लेता है तब ब्रह्म (मुक्त) हो जाता है।
- मया कृतान्यकार्याणि तानि त्वं क्षंतुमर्हसि। [9]
मैंने जो अनुचित कर्म किये हैं उनको आप क्षमा करें।
- प्रमादात् सम्प्रमूढस्य भगवन् क्षंतुमर्हसि। [10]
भगवन्! असावधानी के कारण मोहग्रस्त को क्षमा करो।
- क्षमया क्रूरकर्माणमसाधुं साधुना जयेत्। [11]
क्रूर (दयारहित) को क्षमा से तथा दुष्ट को उत्तम व्यवहार से जीतें।
- क्षमा द्वंद्वसहिष्णुत्वम्। [12]
सर्दी-गर्मी मान-अपमान जैसे द्वंद्वों को सहन करना क्षमा है।
- यदज्ञानादवोचं त्वां क्षंतुमर्हसि तन्मम्। [13]
अज्ञान के कारण मैने आप को जो कहा आप उसे क्षमा करें।
- क्षमा गुणो ह्यशक्तामनां शक्तानां भूषणं क्षमा। [14]
क्षमा दुर्बल मनुष्य का गुण है और बलवान् का आभूषण है।
- क्षमा वशीकृतिर्लोके क्षमया किं न साध्यते। [15]
क्षमा लोक के वशीकरण का उपाय है क्षमा से क्या नहीं हो सकता।
- क्षमैका शांतिरुत्तमा।[16]
क्षमा शान्ति का उत्तम उपाय है।
- क्षमा गुणवतां बलम्। [17]
क्षमा गुणवालों का बल है।
- हंति नित्यं क्षमा क्रोधम् । [18]
अमा सदा ही क्रोध का नाश करती है।
- क्षमेदशक्य: सर्वत्र शक्तिमान् धर्मकारणात्। [19]
दुर्बल सदा क्षमा करे तथा बलवान् धर्म का विचार करके क्षमा करे।
- अर्थानर्थौ समौ यस्य तस्य नित्यं क्षमा हिता। [20]
अर्थ और अनर्थ दोनों में समदर्शी के लिये क्षमा सदा ही हितकर है।
- न तु पापोऽर्हति क्षमाम्। [21]
पापी क्षमा के योग्य नहीं होता।
- क्षमा वै साधुमायाति न ह्यसाधूंक्षमा सदा। [22]
सज्जनों को सदा क्षमा करना आता है दुर्जनों को नहीं।
- नास्थाने प्रक्रिया क्षमा। [23]
योग्यता से अधिक पद देना सहन नहीं किया जाता।
- सदा सुचेता: सहेत नरस्येहाल्पमेघस:। [24]
बुधिमान् व्यक्ति सदा मूर्खों के कठोर वचनों को सहन करता रहता है।
- क्षमया विपुला लोका: सुलभा हि सहिष्णुता। [25]
क्षमा से सहिष्णुता तथा अनेक लोक (या लोग) सरलता से मिल जाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वनपर्व महाभारत28.6
- ↑ वनपर्व महाभारत28.7
- ↑ वनपर्व महाभारत28.8
- ↑ वनपर्व महाभारत28.27
- ↑ वनपर्व महाभारत28.29
- ↑ वनपर्व महाभारत28.32
- ↑ वनपर्व महाभारत29.32
- ↑ वनपर्व महाभारत29.42
- ↑ वनपर्व महाभारत77.13
- ↑ वनपर्व महाभारत181.39
- ↑ वनपर्व महाभारत194.6
- ↑ वनपर्व महाभारत313.88
- ↑ विराटपर्व महाभारत44.25
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत33.49
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत33.50
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत33.52
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत34.75
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत39.42
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत39.59
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत39.59
- ↑ द्रोणपर्व महाभारत198.26
- ↑ शांतिपर्व महाभारत102.29
- ↑ शांतिपर्व महाभारत119.3
- ↑ शांतिपर्व महाभारत114.2
- ↑ शांतिपर्व महाभारत160.35
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