भीरू (महाभारत संदर्भ)

  • न शूरस्य सखा क्लीब:।[1]

शूरवीर का सखा भीरू नहीं होता।

  • द्वेष्टारमन्ये क्लीबस्य पातयंति।[2]

भीरू के शत्रु को दूसरे लोग भी मार डालते हैं।

  • क्लीबा हि वचनोत्तरा:।[3]

भीरू केवल बातों से उत्तर देते हैं। (कर तो कुछ सकते नहीं)

  • क्लैब्यं मा स्म गम:।[4]

भीरू मत बनो।

  • क्लीबस्य हि कुतो राज्यम्।[5]

भीरू को राज्य कहाँ?

  • न क्लीबो वसुधां भुङ्क्ते न क्लीबो धनमश्नुते।[6]

भीरु भूमि और धन का उपभोग नहीं कर सकता।

  • क्लीबं धर्मघृणायुक्तं न लोको बहु मन्यते।[7]

सदा धर्म की रट लगाने वाले भीरू का लोग अधिक आदर नहीं करते।

  • नादातारं भजंत्यर्था न क्लीबं नापि निष्क्रियम्।[8]

भीरू, निष्क्रिय और जो दान नहीं देता उसको धन नहीं मिलता।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आदिपर्व महाभारत 130.9
  2. वनपर्व महाभारत 242.17
  3. उद्योगपर्व महाभारत 162.44
  4. भीष्मपर्व महाभारत 26.3
  5. शांतिपर्व महाभारत 8.5
  6. शांतिपर्व महाभारत 14.13
  7. शांतिपर्व महाभारत 75.19
  8. अनुशासनपर्व महाभारत 6.17

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः