निश्चय (महाभारत संदर्भ)

  • सर्वसामर्थ्यलिप्सूनां पापो भवति निश्चय:।[1]

जो सारी शक्ति पा लेना चाहते हैं उनका निश्चय पापपूर्ण होता है।

  • धनमित्येव पापानां सर्वेषामिह निश्चय:।[2]

सभी पापियों का यही निश्चय है कि जैसे भी हो धन हो।

  • व्ययसायो हि दुष्कर:।[3]

निश्चय पर बने रहना ही कठिन है।

  • व्यवसाययदृते ब्रह्मन्नसादयति तत्परम्।[4]

ब्रह्मन्! निश्चय के बिना कोई उस परमात्मा को नहीं पा सकता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व महाभारत 162.9
  2. शांतिपर्व महाभारत 109.24
  3. शांतिपर्व महाभारत 227.104
  4. शांतिपर्व महाभारत 326.47

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