दम (महाभारत संदर्भ)

  • मनसो दमनं दम:।[1]

मन को वश में रखने को दम कहते हैं।

  • स स्नातो यो दमस्नात: स बाह्मभ्यन्तर शुचि:।[2]

जिससे मन को वश में किया है वह अन्दर बाहर से पवित्र है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व महाभारत 313.88
  2. अनुशासनपर्व महाभारत 108.9

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