देह (महाभारत संदर्भ)

देह = शरीर

  • न नूनं देहभेदोऽस्ति काले राजन्ननागते।[1]

राजन्! निश्चय ही काल आने से पूर्व किसी की देह का नाश नहीं होता।

  • नावमन्येत देहम्।[2]

(किसी भी प्राणी के) शरीर का अपमान न करे।

  • न जीवनाशोऽस्ति हि देहभेदे।[3]

देह के नष्ट हो जाने से जीव नष्ट नहीं हो जाता।

  • त्वगन्तं देहमित्याहु:।[4]

त्वचा के अंत के साथ देह का अंत कहा जाता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. द्रोणपर्व महाभारत 187.42
  2. शांतिपर्व महाभारत 120.46
  3. शांतिपर्व महाभारत 187.27
  4. शांतिपर्व महाभारत 297.15

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