पद (महाभारत संदर्भ)

  • पदस्थ: पिहितं द्वारं परलोकस्य पश्यति।[1]

उच्च पद पर प्रतिष्ठित ऋजु को परलोक का द्वार बंद दिखाई देता है।

  • जीवेच्च यदपध्वस्तस्तच्छुद्धं मरणम्।[2]

पदभ्रष्ट होकर जीना मृत्यु ही है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शल्यपर्व महाभारत 32.59
  2. शांतिपर्व महाभारत 123.19

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः