उत्तर (महाभारत संदर्भ)

  • उत्तस्योक्तस्य नेहांतम्। [1]

उत्तर प्रत्युत्तर का संसार में कोई अंत नहीं है।

  • आभाषितश्च मधुरं प्रत्याभाषेत्। [2]

मृदु कुछ बोले तो ऋजु उसे मधुर वाणी में उत्तर दे।

  • नापत्रपेत प्रश्नेषु। [3]

(कोई प्रश्न करे तो) उत्तर देनें में संकोच न करें।

  • नापृष्ट: कस्यचिद् ब्रूयान्नाप्यन्यायेन पृच्छत:। [4]

बिना पूछे कुछ परामर्श न दें तथा अन्याय से पूछने पर भी न बोलें।

  • पृष्टेन चापि वक्तव्यमेषधर्म: सनातन:। [5]

किसी की पूछने पर उत्तर देना ही चाहिये यही सनातन धर्म है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व महाभारत44.39
  2. शान्तिपर्व महाभारत67.38
  3. शांतिपर्व महाभारत93.10
  4. शांतिपर्व महाभारत287.35
  5. शांतिपर्व महाभारत310.9

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