हठ (महाभारत संदर्भ)

  • निर्बंधो हि सुदारुण:।[1]

हठ का परिणाम बड़ा भयंकर होता है।

  • गुरुणा चैव निर्बंधो न कर्तव्य: कदाचन।[2]

गुरु के साथ कभी हठ नहीं करना चाहिये।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उद्योगपर्व महाभारत 106.6
  2. अनुशासनपर्व महाभारत 104.80

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