- अराजकेषु राष्ट्रेषु प्रजानाथा विनश्यति। [1]
अराजक राष्ट्र में बिना राजा के अनाथ प्रजा नष्ट हो जाती है।
- अनिंद्रमबलं राष्ट्र दस्तवोऽभिभवन्त्युत। [2]
अराजक, दुर्बल राष्ट्र को डाकू पीड़ित करते हैं।
- अराजकेषु राष्ट्रेषु धर्मो न व्यवतिष्ठते। [3]
अराजक राष्ट्रों में धर्म नहीं रह सकता।
- न हि पापात् परतमिस्ति किञ्चिदराजकात्। [4]
अराजकता से बढ़कर दूसरा कोई पाप नहीं है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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