अराजकता (महाभारत संदर्भ)

  • अराजकेषु राष्ट्रेषु प्रजानाथा विनश्यति। [1]

अराजक राष्ट्र में बिना राजा के अनाथ प्रजा नष्ट हो जाती है।

  • अनिंद्रमबलं राष्ट्र दस्तवोऽभिभवन्त्युत। [2]

अराजक, दुर्बल राष्ट्र को डाकू पीड़ित करते हैं।

  • अराजकेषु राष्ट्रेषु धर्मो न व्यवतिष्ठते। [3]

अराजक राष्ट्रों में धर्म नहीं रह सकता।

  • न हि पापात् परतमिस्ति किञ्चिदराजकात्। [4]

अराजकता से बढ़कर दूसरा कोई पाप नहीं है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आदिपर्व महाभारत.104.44
  2. शांतिपर्व महाभारत.67.2
  3. शांतिपर्व महाभारत.67.3
  4. शांतिपर्व महाभारत.67.7

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