मृदु = कोमल
- मृदु: स्यान्नापकारिषु।[1]
कोमल तो रहें परंतु अपकार करने वाले के लिये नहीं।
- तीक्ष्णकाले भवेत् तीक्ष्णो मृदुकाले मृदुर्भवेत्।[2]
समय को देखकर कठोर या कोमल व्यवहार करना चाहिये।
- नासाध्यं मृदुना किंचित् तीक्ष्णतरो मृदु:।[3]
कोमल के लिये कुछ असम्भव नहीं है अत: कोमल कठोर पर भागी है।