दासेरकगण का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत युद्ध में इन्होंने धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन का साथ दिया था।
- महाभारत युद्ध के तीसरे दिन पितामह भीष्म ने कौरवों को विजय दिलाने की इच्छा से 'गरुड़ व्यूह' की रचना की और स्वयं व्यूह के अग्रभाग में चोंच के स्थान पर खड़े हुए। उन्होंने सभी योद्धाओं को उनके उचित स्थानों पर खड़ा किया।
- मगध और कलिंग देश के योद्धा दासेरकगणों के साथ कवच धारण करके व्यूह के दायें पंख के स्थान में स्थित हुए। कारूष, विकुंज, मुण्ड और कुण्डीवृष आदि योद्धा राजा बृहद्वल के साथ बायें पंख के स्थान में खड़े हुए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 55 |