स्थूलकेश

स्थूलकेश नाम के एक ऋषि का विवरण पौराणिक महाकाव्य महाभारत में मिलता है। यह प्रमद्वरा के पोषक पिता थे।[1]

  • गंधर्वराज विश्वावसु से मेनका अप्सरा ने एक कन्या को जन्म दिया था। मेनका इस कन्या को छोड़कर चली गई।
  • एकान्त स्थान में त्यागी हुई उस बन्धुहीन कन्या को स्थूलकेश ऋषि ने देखा और उसे लाकर उसका पालन-पोषण करने लगे।
  • वह सुन्दरी कन्या स्थूलकेश के शुभ आश्रम पर दिनों दिन बढ़ने लगी। वह बुद्धि, रूप और सब उत्तम गुणों से सुशोभित हो संसार की समस्त प्रमदाओं (सुन्दरी स्त्रियों) से श्रेष्ठ जान पड़ती थी; इसलिये महर्षि स्थूलकेश ने उसका नाम ‘प्रमद्वरा’ रख दिया।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 121 |
  2. महाभारत आदि पर्व अध्याय 8 श्लोक 1-19

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