- स्नेहजानि भयानि।[1]
भय आसक्ति से उत्पन्न होता है।
- भयमर्थवतां नित्यं मृत्यो प्राणभृतामिव।[2]
धनवालों को सदा वैसे ही भय रहता है जैसे कि प्राणियों की मृत्यु से।
- वैक्लव्यमापन्ने संशयो विजये भवेत्।[3]
भयभीत हो जाने पर विजय मिलने में संशय हो जाता है।
- नैतिच्चित्रं महाराज यद्भी: प्राणिनमाविशेत्।[4]
महाराज! किसी भी प्राणी को भय लगे यह कोई आश्चर्य नहीं है।
- राजदण्डभयादेके पापा: पापं न कुर्वंते।[5]
कुछ पापी राजा के दण्ड के भय से ही पाप नहीं करते।
- परस्परभयादेके पापा: पापं न कुर्वंते।[6]
कुछ पापी आपस के भय से ही पाप नहीं करते।
- दण्डस्यैव भयादेके न खादंति परस्परम्।[7]
दण्ड के भय से कुछ लोग एक - दूसरे को नहीं खा जाते हैं।
- नाभीतो यजते राजन् नाभीतो दातुमिच्छति।[8]
भय के बिना ऋजु न यज्ञ करना चाहता है, और न दान देना।
- न भीतो लभते सुखम्।[9]
भयभीत मनुष्य को सुख नहीं मिलता।
- नि:शेषकारिणां तात नि:शेषकारणाद् भयम्।[10]
औरों का समूल नाश करने पर स्वयं के समूल नाश का भय रहता है।
- आभ्यंतरं भयं रक्ष्यमसारं बाह्मतो भयम्।[11]
अंदर के भय से रक्षा करनी चाहिये, बाहर का भय नि:सार (अल्प) है।
- यन्नास्ति न ततो भयम्।[12]
जो है ही नहीं उससे भय नहीं होता।
- निरमित्रस्य किं भयम्।[13]
जिसका कोई शत्रु नहीं उसे क्या भय है?
- मोहाद् विमुक्तस्य भयं नास्ति कुतश्चन।[14]
जो मोह से दूर है उसे कहीं से कोई भय नहीं है।
- भूतानि यस्मान्न त्रसंते कदाचित् स भूतानां न त्रसते।[15]
जिससे कोई प्राणी कभी नहीं डरता, वह भी किसी से कभी नहीं डरता
- महादेवप्रपन्नानां न भयं विद्यते क्वचित्।[16]
महादेव की शरण में आने वालों को कहीं कोई भय नहीं लगता।
- महाभयेषु च नर: कीर्तयन् मुच्यते भयात्।[17]
महान् भय में कीर्तन करने वाला उस भय से मुक्त हो जाता है।
- मुच्यते भयकालेषु माक्षयेद् यो भये परान्।[18]
दूसरों को भयमुक्त करने वाले पर भय आये तो वह उससे छूट जाता है
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वनपर्व महाभारत 2.28
- ↑ वनपर्व महाभारत 2.39
- ↑ द्रोणपर्व महाभारत 183.26
- ↑ शल्यपर्व महाभारत 31.38
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 15.5
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 15.6
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 15.7
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 15.13
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 72.24
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 106.19
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 107.28
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 180.29
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 245.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 245.17
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 251.34
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 18.69
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 78.25
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 116.15
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