- किंचिदेव निमित्तं च भवत्यत्र क्षयावहम्।[1]
संसार में कोई भी कारण विनाशकारी बन जाता है।
- बुद्धिर्व्यावर्तते चास्य विनाशे प्रत्युपस्थिते।[2]
विनाशकाल आने पर ऋजु की बुद्धि विपरीत हो जाती है।
- सर्वं कृतं विनाशांतं जातस्य मरणं ध्रुवम्।[3]
जो रचना है सब नष्ट होगी और पैदा होने वाले की मृत्यु निश्चित है।