आहार (महाभारत संदर्भ)

  • आहारात् सर्वभूतानि सम्भंति। [1]

आहार से ही सभी प्राणी उत्पन्न होते हैं।

  • आहारेण विवर्धंते तेन जीवंति जंतव:। [2]

आहार से ही प्राणी जीवित रहते हैं उसी से प्राणियों की वृद्धि होती है।

  • आहारनियमेनास्य पाप्मा शाम्यति राजस:। [3]

नियमित आहार करने से ऋजु का पाप शांत हो जाता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व महाभारत131.17
  2. वनपर्व महाभारत131.17
  3. शांतिपर्व महाभारत217.18

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