- पित्रा पुत्रो वय:स्थोऽपि सततं वाच्य एव तु।[1]
पुत्र की आयु बहुत हो जाये तो भी पिता उसे हित की बातें बताता रहे।
पुत्र को पिता सदा ही प्रिय होता है।
- उत्तमापद्गत: सर्व: पितु: स्मरति शासनम्।[4]
भारी आपत्ति में फँसने पर सभी अपने पिता का उपदेश याद करते हैं।
- एतच्छ्रेयो हि मन्यंते पिता यच्छास्ति।[5]
पिता जो उपदेश देता है वह श्रेष्ठ माना जाता है।
- बहुकल्याणसन्युक्तानिच्छंति पितर: सुतान्।[6]
लोग अनेक कल्याणकारी गुणों वाले पुत्रों को पाना चाहते हैं।
- पितिराज्ञा परो धर्म:।[7]
पिता की आज्ञा का पालन करना परम धर्म है।
- पितरं चाप्यवज्ञाय क: प्रतिष्ठामवाप्नुयात्।[8]
पिता का अनादर करके कौन प्रतिष्ठा पा सकता है।
- पिता यदाह धर्म: स वेदेष्वपि सुनिश्चित:।[9]
पिता जो कहे वही धर्म है वेदों में भी सुनिश्चित किया गया है।
- शरीरादीनि देयानि पिता त्वेक: प्रयच्छति।[10]
केवल पिता ही शरीर जैसे सभी देने योग्य पदार्थ हैं।
- पातकान्यापि पूजंते पितु: शासनकारिण:।[11]
पिता के आदेश का पालन करने वाले के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- पितरी प्रीतिमापन्ने सर्वा: प्रीयंति देवता:।[12]
पिता के प्रसन्न हो जाने पर सभी देवता प्रसन्न हो जाते है।
- आसिषस्ता भजंत्येनं परुषं प्राह यत् पिता।[13]
पिता यदि कठोर वचन बोले तो वह भी पुत्र के लिए आशीर्वाद है।
- निष्कृति: सर्वपापानां पिता यच्चाभिनदंति।[14]
पिता यदि अभिनन्दन करे तो सभी पापों का प्रायश्चित हो जाता है।
- क्लिश्यंति सतुं स्नेहै: पिता पुत्रं न मुञ्चति।[15]
पिता कष्ट में हो तो भी पुत्र को स्नेहवश नहीं त्यागता है।
- पिता परं दैवतं मानवानाम्।[16]
पिता मनुष्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ देवता है।
- उत्पाद्य पुत्रं हि पिता कृतकृत्यो भवेत् सुतात्।आश्वमेधिकपर्व महाभारत 90.60
पिता पुत्र को जन्म देकर अपने आप को कृतकृत्य मानता ह।
- देवकार्यादपि मुने पितृकार्यं विशिष्यते।[17]
मुने! पिता की सेवा (या पितृपूजा) देवपूजा से भी महत्त्वपूर्ण है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आदिपर्व महाभारत 42.4
- ↑ आदिपर्व महाभारत 202.12
- ↑ सभापर्व महाभारत 58.15
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत 112.20
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत 124.20
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 7.13
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.11
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.12
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.17
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.18
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.19
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.21
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.22
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.22
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 266.23
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 297.2
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 339.58
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