- प्रत्ययो मोक्षलक्षणम्।[1]
विश्वास या ज्ञान मोक्ष का लक्षण है।
- निर्वाणं हि दुष्प्राप्यं बहुविघ्नं च।[2]
मोक्ष का मिलना कठिन है और उसके मार्ग में अनेक विघ्न हैं।
- आत्मकेवलतां प्राप्तस्तत्र गत्वा न शोचति।[3]
आत्मा के कैवल्य (मुक्ति) को पाकर मनुष्य शोक नहीं करता।
- विद्यादव्यक्तममृतं पदम्।[4]
अदृश्य अमर है ऐसा जानें।
- मर्त्यलोकाद् विमुच्यन्ते विद्यासंसक्तचेतस:।[5]
जिनका मन ज्ञान में आसक्त है वे संसार से मुक्त हो जाते हैं।
- कामक्रोधौ वशे कृत्वा निनीर्षेद् ब्रह्मण: पदम्।[6]
काम और क्रोध को वश में करके ब्रह्मपद को पाने की इच्छा करें।
- यथोक्तचारिण: सर्वे गच्छति मरमां गतिम्।[7]
शास्त्र में जैसा कहा है वैसा करने वाले सभी परम गति को प्राप्त करते हैं।
- संसारान्मुच्यते शुचि:।[8]
पवित्र व्यक्ति संसार से मुक्त हो जाता है।
- यत्नेन महता चैवाप्येकजातौ विशुद्ध्य्ते।[9]
महान् प्रयत्न करने पर मनुष्य एक ही जन्म में शुद्ध (मुक्त) हो जाता है।
- अबुधा न प्रशंसंति मोक्षं सुखमनुत्तमम्।[10]
मूर्ख लोग सर्वोत्तम सुख मोक्ष की प्रशंसा नहीं करते।
- सहस्रेषु नर: कश्चिन्मोक्षबुद्धिं समाश्रित:।[11]
सहस्रो में कोई एक मोक्ष पाने का विचार करता है।
- विमोक्षिणा विमोक्षश्च समेत्येह।[12]
मुक्त आत्मा का साथ करने से जीव मुक्त हो जाता है।
- किंचन्ये चेतरे चैव जंतुर्ज्ञानेन मुच्यते।[13]
दरिद्रता या सम्पन्नता दोनों ही अवस्थाओं में जीव ज्ञान से मुक्त होता है।
- न विना ज्ञानविज्ञाने मोक्षस्याधिगमो भवेत्।[14]
ज्ञान बिना मुक्ति नहीं।
- हित्वा शुभाशुभं कर्म मोक्षो नामेह लभ्यते।[15]
शुभ और अशुभ कर्म को त्याग देने पर ही मोक्ष मिलता है।
- शक्यो मोक्षस्तपोबलात्।[16]
तप के बल से मोक्ष सम्भव है।
- इदं कार्यमिदं नेति न मोक्षेषूपदिश्यते।[17]
यह करना है यह नहीं करना है यह बात मोक्ष के मार्ग में नहीं कही जाती
- विश्वास्य: सर्वभूतानामग्र्यो मोक्षविदुच्यते।[18]
सभी प्राणियों का विश्वासपात्र मनुष्य मोक्षज्ञानियों में श्रेष्ठ माना जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वनपर्व महाभारत 200.111
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 21.17
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 198.10
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 217.2
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 217.29
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 235.9
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 242.13
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 270.32
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 280.12
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 295.33
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 301.39
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 308.28
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 320.50
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 326.22
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 326.25
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 54.28
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 34.7
- ↑ आश्वमेधिकपर्व महाभारत 46.41
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