दयालु (महाभारत संदर्भ)

  • यावज्जीवंं दयावांश्च सर्वपापै: प्रमुच्यते।[1]

आजीवन प्राणियों पर दया करने वाला सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

  • दयावान् सर्वभूतेषु परत्र सुखमेधते।[2]

सभी प्राणियों पर दया करने वाला परलोक में सुख पाता है।

  • सर्वभूतदयावंतो विश्वास्या: सर्वजन्तुषु।[3]

सभी प्राणियों पर दया करने से सभी प्राणियों के विश्वासपात्र हो जाते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व महाभारत 200.101
  2. अनुशासनपर्व महाभारत 32.35
  3. अनुशासनपर्व महाभारत 144.9

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः