अनुबंध का पालन न करने वाले का कौन बुद्धिमान सम्मान करेगा?
- विश्वासं समयघ्नानां न यूयं गंतुमर्हथ।[3]
तुम्हें अनुबंध तोड़ने वालों का विश्वास नहीं करना चाहिये।
- नाभीत: पुरुष: कश्चित् समये स्थातुमिच्छति।[4]
बिना भय के कोई अनुबंध का पालन नहीं करना चाहता।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ शल्यपर्व महाभारत.64.14
- ↑ महाभारत सूक्तिकोश |लेखक: सोमदेव गिरि |प्रकाशक: दिव्य प्रकाशन, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार, उत्तराखण्ड |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 18 |
- ↑ शल्यपर्व महाभारत.64.30
- ↑ शांतिपर्व महाभारत.15.13
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज