राजस्व (महाभारत संदर्भ)

राजस्व = सरकारी सम्पत्ति

  • मृत्योरिव जुगुप्सेत राजस्वहरणान्नर:।[1]

राजस्व की चोरी करने से मृत्यु की तरह घृणा करें।

  • आत्मस्वमिव रक्षेत राजस्वम्।[2]

राजस्व की अपनी सम्पत्ति की तरह रक्षा करें।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शांतिपर्व महाभारत 68.51
  2. शांतिपर्व महाभारत 68.52

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः