- आत्महा च पुमांस्तात न लोकाँल्लभते शुभान्। [1]
तात! आत्महत्या करने वाले को शुभस्थान की प्राप्ति नहीं होती।
- मूढो हन्यादात्मानमात्मना। [2]
मूढ़ आत्महत्या भी कर सकता है।
- आत्मत्यागी ह्यधो याति वाच्यतां चायशस्करीम्।[3]
आत्महत्या करने वाले का पतन, निंदा तथा अपयश होता है।
- रोषान्वितो जन्तुर्हन्यादात्मानमपि। [4]
क्रोध में प्राणी आत्महत्या भी कर सकता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज