गर्ग संहिता
मथुराखण्ड : अध्याय 24
बह्मर्षि और देवता बोले- भगवन् ! जब-जब आपत्ति में पड़कर हम आपके चरणों का चिन्तन करें, तब-तब आपकी आज्ञा से समस्त बाधाओं से मुक्त हो जायँ। बलराम ने कहा- जब-जब आप लोग मेरी शरण में आकर मेरा स्मरण करेंगे, तब-तब कलियुग में निश्चय ही मैं आप लोगों की रक्षा करूँगा, यह मेरा सत्य वचन है। इस स्थान पर मुनिपुंगवों ने मेरा पूजा करके वर प्राप्त किया, इसलिये कलियुग में यह तीर्थ 'संकर्ष स्थान' के नामसे विख्यात होगा। जो लोग इस तीर्थ में गंगा-स्नान और देवताओं का पूजन करेंगे, ब्राह्मणों को दान देंगे, उन्हें भोजन करायेंगे और विष्णु भगवान की पूजा करेंगे, इस भूतल पर उनका जीवन सफल होगा। वे देवताओं के लोक में जायँगे। अथवा यदि उनके मन में कोई अभीष्ट होगा तो उस अभीष्ट को ही प्राप्त कर लेंगे। तदनन्तर बलराम सबके साथ अपनी पुरी मथुरा को चल गये। कोल राक्षस का वध और गंगा के जल में स्नान करके उन्होंने लोकसंग्रह के लिये प्रायश्चित किया था। जो मनुष्य बल के देवता बलराम की इस कथा को सुनेंगे, वे सब पापों से मुक्त होकर परमगति को प्राप्त होंगे। इस प्रकार श्रीगर्ग संहिता में श्रीमथुरा खण्ड के अन्तर्गत नारद बहुलाश्व संवाद में 'कोलदैत्य का वध' नामक चौबीसवाँ अध्याय पूरा हुआ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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