गर्ग संहिता
अश्वमेध खण्ड : अध्याय 40
यज्ञ संबंधी अश्व का ब्रजमंडल में वृंदावन के भीतर प्रवेश, श्रीदामा का उसे बांधकर नंदजी के पास ले जाना, नंदजी का समस्त यादवों और श्रीकृष्ण से सानंद मिलना, यादव सेना का वृंदावन में और श्रीकृष्ण का नंदपत्तन में निवास श्रीगर्गजी कहते हैं- राजन् ! श्रीकृष्ण के द्वारा मुक्त हुआ पत्र और चामरों से विभूषित वह अश्व संपूर्ण देशों का नेत्रों से अवलोकन करता हुआ आगे बढ़ा। नरेश्वर बल्वल को पराजित हुआ सुनकर अनेक देशों के नरेश भगवान श्रीकृष्ण के भय से अपने यहाँ आए हुए अश्व को पकड़ न सके। राजेंद्र ! इस प्रकार आगे–आगे जाता हुआ यदुवीर उग्रसेन का अश्व एक महीने में भारतवर्ष के अंतर्गत ब्रजमंडल में जा पहुँचा। राजन् ! वहाँ से यमुना को पार कर वृंदावन का दर्शन करते हुए वह श्रेष्ठ अश्व एक तमाल वृक्ष के नीचे खड़ा हो गया। वहाँ दूब चरते हुए घोड़े को देखकर बहुत से ग्वाल बाल गौएं चराना छोड़कर कौतुहल वश उसके पास आ गए और ताली पीटने लगे। राजन् ! इस प्रकार जब सब ग्वाल बाल घोड़े को देख रहे थे, उसी समय गोप नायक श्रीदामा वहाँ आए और उन्होंने वहाँ विचरते हुए उस चंचल अश्व को अनायास ही पकड़ लिया। गाय बांधने वाली रस्सी को घोड़े के गले में बांध कर वे अन्य गोपों के साथ किसने इसको छोड़ा है– यह बातचीत करते हुए नंदराय के निकट गए। उस घोड़े को आया देख नंदरायजी को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने उसके भाल में बंधे हुए पत्र को बांचकर गद्गद वाणी में सब लोगों से कहा– यह उग्रसेन का घोड़ा है, जो मेरे गांव में आ गया है। मेरे प्रपौत्र अनिरुद्ध सब ओर से इसका पालन करते हैं। मैं मित्रों से मिलने के लिए इस यज्ञ संबंधी अश्व को ग्रहण करता हूँ। इसके बाद श्रीकृष्ण की सी आकृति वाले प्रियकारी प्रपौत्र अनिरुद्ध को देखूंगा। ऐसा कहकर और यशोदा के सामने सारा अभिप्राय बताकर नंदराय जी अनिरुद्ध को देखने के लिए अन्याय गोपों के साथ नंदगांव से बाहर निकले । नृपेश्वर ! उस समय भोज, वृष्णि तथा अंधक आदि समस्त कुलों के यादव घोड़े के पीछे लगे वहाँ आ पहुँचे। नृपेंद्र ! गंगासागर से लौटते समय मार्ग में नेपाल तीर्थ, मिथिला, अयोध्या, बर्हिष्मती, कान्य कुब्ज (कन्नौज), बल भद्र जी के स्थान (दाऊजी), गोकुल (महावन), सूर्य कन्या यमुना तथा जहाँ भगवान केशव देव विराजते हैं, उस मथुरापुरी का भी दर्शन करते हुए श्रीकृष्ण सहित सब लोग वृंदावन होते हुए नंद गांव में आए। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |