गर्ग संहिता
विश्वजित खण्ड : अध्याय 18
गया, गोमती, सरयू एवं गंगा के तटवर्ती प्रदेश, काशी, प्रयाग एवं विन्ध्यदेश में यादव-सेना की यात्रा; श्रीकृष्ण के अठारह महारथी पुत्रों का हस्तलाघव तथा विवाह ;मथुरा, शूरसेन जनपदों एवं नन्द–गोकुल में प्रद्युम्न आदि का समादर गोमती तथा पुण्यसलिला सरयू के तट पर होते हुए प्रद्युम्नजी गंगा के किनारे काशीपुरी में आये। वहाँ पार्ष्णिग्रह काशिराज शिकार खेलने के लिये गये थे, जो वहीं पकड़ लिये गये। काशिराज ने भी यह सुनकर कि प्रद्युम्न की सेना विशाल है, उन्हें भेंट अर्पित की । राजन् ! तत्पश्चात बलवान प्रद्युम्न अपने सैनिकों के साथ कोसल जनपद में गये और अयोध्या के निकट नन्दिग्राम में उन्होंने अपनी सेना की छावनी डाल दी। कोसलराज नग्न जितने, जो तत्त्वज्ञानी थे, बहुत से घोड़े, हाथी, रथ और महान् धन देकर शम्बरारि प्रद्युम्न का पूजन किया। उत्तर दिशा के स्वामी दीपतम, नेपाल के राजा गज तथा विशाला नगरी के स्वामी बर्हिण इन सबने उन्हें भेंट दी। नैमिषारण्य के स्वामी बडे़ भगवद् भक्त ओर श्रीकृष्ण के प्रभाव को जानने वाले थे। उन्होंने हाथ जोड़कर प्रद्युम्न को बलि अर्पित की। इसके बाद श्रीकृष्णकुमार प्रयाग गये और वहाँ पापनाशिनी त्रिवेणी में स्नान करके उन्होंने महान दान किया; क्योंकि वे तीर्थराज के प्रभाव को जानते थे। बीस हजार हाथी, दस लाख घोड़े, चार लाख रथ, सोने की माला तथा सुनहरे वस्त्रों से विभूषित दस अरब गौएं दस भार स्वर्ण, एक लाख मोती, दो लाख वस्त्र तथा दो लाख कश्मीरी शाल एवं नये कम्बल हरिप्रिय तीर्थराज में प्रद्युम्न ने ब्राह्मणों को दिये । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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