गर्ग संहिता
अश्वमेध खण्ड : अध्याय 17
स्त्री राज्य पर विजय और वहाँ की कुमारी रानी सुरूपा का अनिरुद्ध की प्रिया होने के लिए द्वारका को जाना श्रीगर्गजी कहते हैं– तदनन्तर वहाँ से छूटने पर परम उज्ज्वल अंगों वाला अनिरुद्ध का अश्व यदुकुल के प्रमुख वीरों के साथ उशीनर–जनपद से बड़े–बड़े वीरों को देखता हुआ धीरे–धीरे बाहर निकला। राजन ! इस प्रकार विचरता हुआ वह श्रेष्ठ अश्व प्रत्येक राज्य में गया और बहुत से नरेशों ने उसको पकड़ा तथा छोड़ा। राजा इंद्रनील और हेमांगद को पराजित हुआ सुनकर अन्य मंडलेश्वर नरेश अपने यहाँ आने पर भी उस घोड़े को पकड़ने का साहस न कर सके। नृपश्रेष्ठ ! बहुत से वीर विहीन देशों का अवलोकन करके वह श्रेष्ठ घोड़ा स्वेच्छा से घूमता हुआ स्त्री राज्य में जा पहुँचा। वहाँ कोई सुरूपा नाम वाली सुंदरी राजकन्या राज्य करती थी। कहते हैं, वहाँ कोई पुरुष राजा जीवित नहीं रहता। वज्रनाभ ! उस देश में किसी स्त्री को पाकर जो काम भाव से उसका सेवन करता है, वह एक वर्ष के बाद कदापि जीवित नहीं रहता। स्त्री राज्य के नगर में फूलों से भरा हुआ एक सुंदर उद्यान था, जहाँ लवंग लताएँ फैली थीं और कुछ इलायची की सुगंध भीनी रहती थी। पक्षियों और भ्रमरों की मीठी बोली वहाँ गूंज रही थी। उस नगर में पहुँच कर घोड़ा उस उद्यान में एक इमली वृक्ष के नीचे खड़ा हो गया। वहाँ की सब स्त्रियों ने देखा, बड़ा मनोहर श्यामकर्ण घोड़ा खड़ा है। वहाँ के ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र भी उसे देखने के लिए गए। नरेश्वर ! उस घोड़े को देखकर स्त्रियों ने अपनी स्वामिनी से उसकी चर्चा की। वह चर्चा सुनकर रानी छत्र और चंवर से वीजित हो रथ पर बैठीं और करोड़ों स्त्रियों के साथ उस घोड़े को देखने के लिए गईं। घोड़े को देख कर और उसे भाल में बंधे हुए पत्र को पढ़ कर रानी को बड़ा रोष हुआ। उन्होंने नगर में घोड़े को बांध कर उसके प्रतिपालकों के साथ युद्ध करने का निश्चय किया। कोई स्त्रियां हाथी पर, कोई रथ पर और कोई घोड़े पर आरूढ़ हो कवच बांध कर अस्त्र–शस्त्रों से संपन्न हो युद्ध के लिए आईं। वे सब स्त्रियां कुपित हो अस्त्र–शस्त्रों की वर्षा करती हुई आईं। उन्हें देख कर अनिरुद्ध ने हेमांगद से पूछा। अनिरुद्ध बोले- राजन ! ये कौन स्त्रियाँ हैं, जो युद्ध करने के लिए आई हैं। जिस उपाय से यहाँ मेरा कल्याण हो, वह विस्तारपूर्वक बताइए। हेमांगद ने कहा– नृपेश्वर ! इस देश में रानी राज्य करती है, क्योंकि राजा यहाँ जीवित नहीं रहता है। इसीलिए वह स्त्रियों से घिरी हुई आई है। आपके घोड़े को पकड़कर वह संग्राम करने के लिए उपस्थित है। यह सुन कर अनिरुद्ध राजा से इस प्रकार बोले। अनिरुद्ध ने कहा- राजन ! यहाँ पर स्त्री राज्य क्यों करती है तथा राजा क्यों जीवित नहीं रहता है ? यह बात विस्तारपूर्वक बतलाइए, क्योंकि आप सब कुछ जानते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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