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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
13.राजा बलि के अभिमान का निवारण
भगवान कहते हैं, “बलि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। मैंने तुम्हें नहीं बाँधा है, तुमने ही मुझे अपने सत्स्वभाव से बाँध लिया है।” किसने किसको बाँधा? यह बड़ा विचित्र है, भगवान की माया है। भगवान कहते हैं, “मैं तुम्हारे सिर पर पाँव रखता हूँ और तुम सीधे सुतललोक चले जाओ। वहाँ स्वर्ग से भी अधिक सुख सामग्री हैं, तुम वहाँ राज्य करो।”
“वहाँ तुम मुझे निरंतर देख पाओगे। मैं चक्र गदा आदि लेकर हमेशा तुम्हारे दरवाजे पर पहरेदार बन कर खड़ा रहूँगा।” बताओ कौन बँध गया? भगवान ने बाँध लिया अपने आपको उसके साथ और इतना ही नहीं, प्रह्लाद जी से कहते हैं- पह्लाद जी, आप भी इसके साथ रहकर इसको सत्संग कराते रहिए। अब इससे बढ़कर क्या हो सकता है? भगवान और भक्त दोनों इस भक्त के पास आकर बैठ गये। किसके ऊपर ज्यादा कृपा की? बलि ने कहा-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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