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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
6.प्रथम प्रश्न - भागवत धर्म का तात्पर्य
तो विदेहराज निमि उन नौ यौगियों से कहते हैं कि आप कृपा करके मुझे समझाकर बताइये कि-
आत्यन्तिक क्षेम क्या हैं? मनुष्य का सबसे बड़ा कल्याण किसमें है? देखो, कितनी नम्रता है राजा निमि में, वे पुनः कहते हैं-
यदि आपकी दष्टि में हम सुनने की योग्यता रखते हों, तो आप हमें भागवत धर्म समझाइये। हम उसे जानना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है कि-
यह भागवत धर्म जिस व्यक्ति के हृदय में आ जाता है, उसे तो भगवान (प्रसन्न होकर) अपने आप का ही दे डालते हैं। अब क्या बतायें? ऐसा यह भागवत धर्म है। श्रीमद भागवत में पहले धर्म बताया गया, फिर सद्धर्म बताया गया और अब यह भागवत धर्म बताया जा रहा है। यहाँ विदेहराज निमि ने एक के बाद एक कई प्रश्न पूछे हैं। एक-एक प्रश्न का उत्तर एक-एक योगीश्वर ने दिया है। तो विदेहराज निमि पूछ रहे हैं कि वह भागवत धर्म क्या है जिसके द्वारा आत्यन्तिक क्षेम प्राप्त होता है? यह पहला प्रश्न है। इसका उत्तर उन नौ योगियों में से कवि नामक योगि ने दिया है। कवि अर्थात् क्रान्तिदर्शी, सर्वज्ञ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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