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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
48.कंस का उद्धार
इधर कंस को डर भी लग रहा है, तथापि वह क्रोध में भरकर चिल्लाते हुए कहने लगा-
वसुदेव के ये दो दुष्ट पुत्र हैं। इनको यहाँ से निकालो, मारो इनको, गोप भी यहाँ आये हैं, उनका धन लूट लो, दुर्बुद्धि नन्द को बाँधकर जेल में डाल दो, वसुदेव को भी मार डालो। उग्रसेन मेरा पिता है पर वह भी मेरे शत्रु पक्ष का हो गया है। इसलिए उसको जिंदा रखने की जरूरत नहीं है। उग्रसेन को भी मार डालो। इस प्रकार भय के मारे अधीर होकर वह बकबक करने लगा। वह स्वयं श्रीकृष्ण के पास जाने का साहस नहीं कर पाया। भगवान नीचे खड़े हैं और कंस ऊपर मंच पर है। वह चिल्ला रहा है, उसे डर भी लग रहा है। तब, भगवान ने सहसा छलाँग लगाई और सीधे मंच पर पहुँच गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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