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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
5.परीक्षित के सृष्टि विषयक प्रश्न
आगे परीक्षित शुकदेवजी से कहते हैं- आप मुझे समझाकर बताइये कि भगवान सृष्टि को कैसे रचते है, उसका धारण किस प्रकार करते हैं और फिर उसे किस प्रकार अपने आप में लीन कर लेते हैं। यह सृष्टि एक-साथ हो जाती है या क्रम से होती है? भगवान गुणों को किस प्रकारण धारण करते हैं? यह सब आप विस्तार से बताइए। क्योंकि आप वेद-वेदान्त में परिनिष्ठत हैं। परब्रह्म में स्थित हैं। आपको ये सारे रहस्य ज्ञात हैं। अब, उत्तर प्रारम्भ करने के पूर्व शुकदेव जी भगवान को नमस्कार करते हैं यह समग्र अध्याय नमस्कार का है।
जिनका यश अत्यंत शुभकारी है, जिनका श्रवण, भजन, कीर्तन, स्मरण हमारे सब पापों को धो डालता है, उन भगवान को नमस्कार है!
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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