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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
1.शौनक आदि ऋषियों के प्रश्न
पहला प्रश्न - ‘पुंसां एकान्ततः श्रेयः किं अस्ति?’ अर्थात मनुष्य के परम कल्याण का मार्ग कौन-सा है? एक होता है प्रेय मार्ग और दूसरा होता है श्रेय मार्ग। जो हमें प्रिय लगता है, अच्छा लगता है, वह एक मार्ग हुआ- प्रेय मार्ग। लेकिन जो हमें अच्छा लगता है, वह हमारे लिए कल्याणकारी हो, यह कोई आवश्यक नहीं है। अर्थात् एक प्रिय होता है और एक हितकारी। कल्याण अथवा हित भी दो प्रकार का होता है। एक तो सामान्य कल्याण या हित और दूसरा परम कल्याण या हित। कोई-कोई हित ऐसा होता है जो किसी-किसी समय के लिए हितकारी हो। परन्तु जो सब काल में सभी देशों के लोगों के लिए हितकारी हो, वह परम कल्याण कहलाता है। प्रश्न यह है कि सभी लोगों के लिए परम कल्याण की, परम हित की बात कौन सी है?
तो ये छः प्रश्न हो गये। इनका भी संक्षेप कर सकते हैं। सभी जीवों का परम कल्याण किसमें है- क्या है? दूसरा, तीसरा तथा चौथा प्रश्न अवतारों से सम्बन्धित है- उनके प्रयोजन, उनके कार्य और उनकी कथा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.1.23
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