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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
5.हिरण्यकशिपु व हिरण्याक्ष का जन्म
आगे ब्रह्माजी देवताओं से कहते हैं- जो हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु हैं, वे ही इनके (दिति के) गर्भ में आये हुए हैं, इसलिए आपको यह संकट हो रहा है। लेकिन चिन्ता न करें, भगवान सब ठीक कर कर देंगे। अब हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु का जन्म होता है। हिरण्यकशिपु बड़ा भाई है, हिरण्याक्ष छोटा भाई है। आपस में दोनों को बड़ा प्रेम है। हिरण्याक्ष का अर्थ है-अक्ष यानी आँखें , तो जिसकी आँखें हमेशा सोने के ऊपर रहती हैं वह हिरण्याक्ष है। उसको और कुछ दिखाई नहीं देता। जहाँ सोना दिखा हड़प लिया। अब वह पृथ्वी को रसातल में ले गया, इसका क्या अर्थ हुआ? पृथ्वी पर जितना धन है वह सब मेरा ही हो और किसी का नहीं। वह किसी और को कुछ भी लेने नहीं देता था। किसी को भोगने नहीं देता था। उसके हाथ में सदा एक गदा रहती थी। वह बड़ा भंयकर था। क्योंकि उसे ब्रह्माजी का वरदान प्राप्त था कि सृष्टि का कोई प्राणी उसे मार नहीं सकता। बस, गदा लेकर वह घूमता रहता था और लड़ाई करने का बहाना ढूँढता रहता था कि इसको मारूँ या उसको मारूँ। और जब वह स्वर्ग में जाता था, तो इन्द्र आदि देवता भी वहाँ से भाग जाते थे, कोई टिकते नहीं थे उसके सामने। तो यह हिरण्याक्ष बड़ा लोभी, शक्तिशाली और क्रोधी हुआ। और हिरण्यकशिपु-बड़ा कामी-भोगी। कशिपु माने विस्तर, और हिरण्य माने सोना। अतः जो सोने के बिस्तर पर सोये वह हिरण्यकशिपु अर्थात महाकामी-भोगी। ये दोनों भाई काम, और लोभ के प्रतीक हैं। हिरण्यकशिपु काम-भोग में डूबा रहता था, तो हिरण्याक्ष लोभ का साकार रूप था। अपने भाई के लिए ही वह जहाँ-तहाँ से सारा धन लेकर आता रहता था। उसे तो बस लड़ाई करने की लगी रहती थी। वह सोचता था मेरे जैसा कोई है ही नहीं लड़ाई करने वाला। एक दिन वह वरुण देवता के पास लड़ाई करने के लिए समुद्र में गया। झूठ-मूठ ही उनके पैरों में गिर पड़ा, नमस्कार किया और बोला, ‘‘महाराज मेरे साथ लड़ाई करो।’’ वरुण देवता बूढ़े हो गए थे। उसको देखकर घबरा गये। बोले, हिरण्याक्ष अब हम तो बूढ़े हो गये हैं, हम क्या युद्ध करेंगे तुम्हारे साथ। तुम्हारे साथ कोई युद्ध कर नहीं सकता। वह बोला - फिर मैं किसके साथ युद्ध करूँ? तब वरुण देवता कहते हैं जो आदि परमात्मा हैं, वे ही तुम्हारे साथ युद्ध करेंगे, वे ही इस योग्य हैं। वे तुमको अच्छा पाठ सिखाएँगे। वे विशेष रूप से तुम्हारे लिए ही आये हुए हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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