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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
6.ब्रह्मादि देवताओं द्वारा गर्भस्थ भगवान की स्तुति
कहते हैं- आप सत्यव्रत हैं। आपकी प्राप्ति का साधन भी सत्य ही है। आप तीनों कालों में सत्य हैं, सत्य के भी सत्य हैं, सत्यस्वरूप हैं। हम आपकी शरण में आए हैं। और प्रपन्न भी हैं।
ब्रह्मा जी देवकी जी से कहते हैं- बड़े भाग्य की बात है कि परम पुरुष ही आपके गर्भ में आ चुके हैं। ‘मा भूद् भयं भोजपतेर्मुमूर्षों’[4] भोजपति कंस अब मरणासन्न है, मरने ही वाला है। उससे भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है। यह बालक तो युदवंश की तथा आप सब की रक्षा करने वाला है, आप चिन्ता मत कीजिए। ऐसा कह कर ब्रह्माजी अन्तर्धान हो गए। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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