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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
3.इन्द्र द्वारा बृहस्पति जी का अपमान
आगे इन्द्र और वृत्रासुर की कथा आती है। एक बार इन्द्र देव ने मद में आकर, अभिमान के कारण अपने गुरु बृहस्पति का अपमान कर दिया। बृहस्पति जी सभा में आए। इन्द्र ने देख कर भी अनदेखा कर दिया। बृहस्पति अपमानित हो गए, लेकिन कुछ बोले नहीं। गुरु (बृहस्पति) चुपचाप वहाँ से चले गए। बाद में इन्द्र को पश्चाताप हुआ कि मैंने कैसा गड़बड़ काम कर दिया। वे गुरु को ढूँढने गए। लेकिन गुरु चले गए तो चले गए। पता नहीं वे कहाँ गए। गुरु की कृपा जैसे ही कम हो गई, इनकी शक्ति घट गई। असुरों की शक्ति बढ़ गई। असुरों ने इनके ऊपर आक्रमण कर दिया। अब इन्द्र घबराए। देखो, गुरु की कृपा नहीं रहती तो बड़ी हानि होने लगती है। अब क्या करें? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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