गर्ग संहिता
मथुराखण्ड : अध्याय 24
बलदेवजी ने कहा- अनघ ! तुम्हें उद्धवजी जी के द्वारा श्रीमद्भगवतसंहिता की प्राप्ति होगी, जिसका कीर्तन कलियुग में सर्वाधिक महत्त्व रखने वाला है। माण्डूक ने पूछा- स्वामिन् ! भगवान ने उद्धवजी को भागवत संहिता सुनाने का मुख्य अधिकार क्यों दिया है ? और उनके साथ मेरा संयोग कब होगा ? आप इस मेरे संदेह का निवारण कीजिये। बलदेवजी बोले- मैं परम गोपनीय एंव परम अद्भुत रहस्य की बात बताता हूँ। आज भी मेरे निकट ये उद्धवजी विराजते हैं। तुम इनका दर्शन कर लो। यह उत्तम दर्शन तुम्हें परमार्थ प्रदान करने वाला है, परंतु आज तीर्थयात्रा के अवसर पर तुम्हें इनका उपदेश नहीं प्राप्त हो सकता। जिस प्रकार ये भागवत के उपदेशक होंगे, वह मैं तुम्हें बता रहा हूँ। मैंने उद्धव को श्रीमान आचार्य के पद पर इसलिये स्थापित किया है कि ये संहिता ज्ञान स्वरूप हैं। नन्द आदि व्रजवासियों तथा गोपांग्नाओं की प्रीति के लिये भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धव को अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा था। अपना स्वरूप, परिकर का पद और जो कुछ भी पूर्ण भगवत्ता है, वह सब, अपने स्वभाव और गुण के साथ परमात्मा श्री कृष्ण उद्धव को अर्पित की है। उन्होंने उद्धव को और अपने को एक ही मानकर आचरण किया है। श्रीकृष्ण ने अपना आन्तरिक रहस्य पहिले उद्धव के सिवा और किसी नहीं प्रकट किया था। उन्होंने इनमें अपनी अभिन्नाता का साक्षात्कार किया है। व्रजवासियों ने इन्हें साक्षात श्रीकृष्ण ही जानकर बडे़ आदर से इनका पूजन किया था। वसन्त और ग्रीष्म, दोनों ऋतुओं में इन्होंने व्रजभूमि में विचरण किया और श्रीराधा तथा राधाकुण्ड के आस-पास के लोगों का शोक शान्त किया। उद्धव व्रजवासी अनुगामियों के साथ वहाँ की भूमि में यत्र-तत्र सर्वत्र विचरे हैं। इन्हें गौओं तथा नन्द आदि गोपों और गोपांग्नाओं 'वियोगार्तिहारी' कहा गया है। ये मन्त्री के अधिकार में कुशल तथा समस्त पार्षदों के अग्रगामी हैं। जब भगवान के अन्तर्धान की वेला आयेगी, उस समय धर्मपालक देहधारी भगवान उद्धव को अपना परम अद्भुत तेज भी दे देंगे। इनका मुद्राधिकार (भगवान की ओर से कुछ भी कहने और उनकी मुद्रिका या मोहर की छाप लगाकर कोई आदेश जारी करने का अधिकार) तो सर्वत्र और सदा ही विराजता है। अन्तर्धान काल में इन्हें भगवान की ओर से विशेष अधिकार दिया जायगा। ये बदरिकाश्रम तीर्थ में विराजमान परिकरों सहित धर्म-नन्द को भगवद रहस्य का बोध करायेंगे। अर्जुन आदि को भगवान के वियोग से जो बड़ी भारी पीड़ा होगी, उसका निवारण उद्धव ही करेंगे। मथुरा में यादवों का उत्तराधिकारी वज्रनाभ होगा। श्रीकृष्ण के पौत्रों तथा महारानियों के समुदाय में जो भगवद वियोग की वेदना होगी उसे दूर करने के लिये साक्षात श्रीहरि के द्वारा उद्धव ही नियुक्त किये जायेंगे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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