गर्ग संहिता
वृन्दावन खण्ड : अध्याय 20
विदेहराज ! उसी समय अपनी सुगन्ध से सबका मन मोह लेने वाली शीतल वायु चलने लगी। उससे समस्त गोपांगनाओं को बड़ा सुख मिला। वे वहाँ एकत्र हो सम्मिलित उच्च स्वर से श्रीमुरारिका यश गाने लगीं। वहाँ से राधावल्लभ श्रीकृष्ण ताल वन को गये। उस वन में व्रज वधूटियों से घिरे हुए श्रीहरि ने मण्डलाकार रास नृत्य आरम्भ किया। उस नृत्य में समस्त गोप-सुन्दरियाँ पसीना-पसीना हो गयीं और प्यास से व्याकुल हो उठीं। उन सबने हाथ जोड़कर रासमण्डल में रासेश्वर से कहा। गोपियाँ बोलीं- देव ! गंगाजी तो यहाँ से बहुत दूर हैं और हम लोगों को बड़े जोर से प्यास लगने लगी है। हरे ! हम यह भी चाहती हैं कि आप यहीं दिव्य मनोहर रास करें। हम आपके साथ यहीं जल विहार और जलपान करेंगी। आप इस जगत के सृष्टि, पालन तथा संहार के भी नायक हैं। श्री नारद जी कहते हैं- यह सुनकर श्रीकृष्ण ने बेंत की छड़ी से भूमि पर ताड़न किया। इससे वहाँ तत्काल पानी के स्त्रोत निकल आया, जिसे ‘वेत्रगंगा’ कहते हैं। उसके जल का स्पर्श करने मात्र से ब्रह्महत्या दूर हो जाती है। मिथिलेश्वर ! उस वेत्रगंगा में स्नान करके कोई भी मनुष्य गोलोकधाम में जाने का अधिकारी हो जाता है। मदनमोहन देव भगवान श्रीकृष्ण हरि वहाँ श्रीराधा तथा गोपांगनाओं के साथ जल विहार करके कुमुद वन में गये, जो लता-बेलों के जाल से मनोहर जान पड़ता था। वहाँ भ्रमरों की ध्वनि सब ओर गूँज रही थी। उस वन में भी सखियों के साथ श्रीहरि ने रास किया। वहीं श्रीराधा ने व्रजांगनाओं के सामने नाना प्रकार के दिव्य पुष्पों द्वारा श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया। चम्पा के फूलों से कटिप्रदेश को अलंकृत किया। सुनहरी जूही के पुष्पों द्वारा निर्मित बाजूबन्द धारण कराया। सहस्र दल कमल की कर्णिकाओं को कुण्डल का रूप देकर उससे कानों की शोभा बढ़ायी गयी। मोहिनी, मालिनी, कुन्द और केतकी के फूलों से निर्मित हार श्रीकृष्ण ने धारण किया। कदम्ब के फूलों से शोभायमान किरीट और कड़े धारण करके श्रीहरि के श्रीअंग और भी उद्भासित हो उठे थे। मन्दार-पुष्पों का उत्तरीय (दुपट्टा) और कमल के फूलों की छड़ी धारण किये प्रभु श्यामसुन्दर बड़ी शोभा पाते थे। तुलसी-मंजरी से युक्त वन माला उन्हें विभूषित कर रही थी। राजन ! अपनी प्रियतमा के द्वारा इस प्रकार श्रृंगार धारण कराये जाने पर श्रीकृष्ण उस कुमुद वन में हर्षोत्फुल्ल मूर्तिमान वसंत की भाँति शोभा पाने लगे । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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