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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
41.अक्रूर जी की व्रजयात्रा
यह कोई अफवाह हो। यह समाचार सत्य न हो। लेकिन क्या किया जाए, जिस बात को हम अफवाह समझना चाहते हैं वह प्रायः सत्य होती है। गोपियाँ समझ रही हैं कि धनुष-यज्ञ का तो सिर्फ बहाना है। श्रीकृष्ण एक बार यहाँ से जायेंगे तो वापस नहीं आयेंगे। उनको मालूम है कि ये जहाँ जायेंगे वहीं लोग इन्हें रोक लेंगे, बिठाकर रखेंगे, इनको छोड़ेंगे नहीं। फिर वे सोचने लगीं कि हम सब तो यहाँ की अनपढ़ गोपियाँ हैं। हमको कुछ आता-जाता तो है नहीं, न ढंग से कपड़े पहनना आता है न ढंग से बोलना आता है, न ही ढंग से उठना-बैठना आता है। शहर में ये जहाँ जायेंगे, वहाँ तो बड़े-बड़ै महल होंगे। वहाँ के लड़के, लड़कियाँ, स्त्री, पुरुष सब पढ़े-लिखे होंगे। भगवान उन सब से मोहित होकर उन्हीं के साथ रहने लग जायेंगे। वहाँ वे हमारी याद क्यों करने लगे। आखिर हम सब तो इनकी माँ से इनकी शिकायत ही किया करती थीं न? इस प्रकार सोच-सोचकर उनका हृदय पहले से ही दुःखी होने लगा। वे सब यही चाहती थीं कि यह समाचार झूठा हो परन्तु वह सच्चा ही निकला। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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