गर्ग संहिता
अश्वमेध खण्ड : अध्याय 16
राजन् ! उस घोर नदी को बह कर आती देख अनिरुद्ध शंकित हो गए। उनका मुंह सूख गया और वे रोषपूर्वक बोले- अहो ! क्या मेरे पिता के सभी भाई मारे गए, जिसके कारण यह घोर नदी प्रकट हो हम सबको बहा ले जाने के लिए इधर ही आ रही है ? मैं इस नदी को अपने अग्निमय बाणों द्वारा सोख लूंगा। इसमें संशय नहीं है। अपने पर्वतोपम गजराजों द्वारा इस नगरी को ढहवा दूंगा। तदनन्तर अनिरुद्ध के आदेश से महावतों से प्रेरित हो बड़े–बड़े ऊँचे मदोन्मत्त और कज्जलगिरि के समान काले लाखों हाथी अपनी सूंड़ों से छोटे–छोटे वृक्षों एवं गुल्मों को उखाड़–उखाड़ कर उस नगर में फेंकने लगे। वे अपने पैरों के आघात से पृथ्वी को कंपित करते हुए नगर के ऊपर जा चढ़े। नरेश्वर ! वहाँ पहुँच कर उन समस्त गजराजों ने अपने कुंभस्थलों से रोषपूर्वक सब ओर से शीघ्र ही उस पुरी को ढाह दिया। सारे कपाट टूट–टूट कर गिर गए। द्वारों की सुदृढ़ श्रृंखलाएँ छिन्न–भिन्न हो गईं। पुरी के दुर्ग की पथरीली दीवारें उन हाथियों ने तोड़ गिराईं। नृपश्रेष्ठ ! श्रीहरि के गजराजों ने किवाड़ों, अर्गलाओं और दुर्ग को धराशायी करके पुरी में पहुँच कर शत्रुओं के घरों को गिराना आरंभ किया। उस समय चम्पावती में महान हाहाकार मच गया। राजा आदि सब लोग भयभीत हो बड़े आश्चर्य में पड़ गए। तब पराजित हुए राजा हेमांगद फूलों के हार से अपने दोनों हाथ बाँध कर ‘पाहिमाम्’ कहते हुए हरि पुत्रों के सम्मुख आए। उन नरेश को आया हुआ देख रणभूमि में धर्मवेत्ता साम्ब ने भाइयों को तथा दीनजनों की हत्या करने वाले महावतों को भी रोका। सबको रोककर राजा से इस प्रकार बोले। साम्ब ने कहा– राजन् ! आओ, तुम्हारा भला हो। मेरा घोड़ा लेकर अनिरुद्ध के समीप चलो, तब तुम्हारे लिए श्रेष्ठ परिणाम निकलेगा। साम्ब की यह बात सुन कर राजा यज्ञ का घोड़ा लिए हरि पुत्रों के साथ पुरी से बाहर निकले। राजन् ! पुत्र के साथ अनिरुद्ध के निकट जाकर राजा ने घोड़ा और उसके साथ एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ भी अर्पित कीं। राजेंद्र ! तदनन्तर नीतिवेत्ता दीनवत्सल अनिरुद्ध ने पुष्प माला से बंधे हुए उनके दोनों हाथ खोल कर इस प्रकार कहा– नृपश्रेष्ठ ! मेरे साथ चल कर श्रीकृष्ण की प्रसन्नता के लिए शत्रु–राजाओं से इस घोड़े की रक्षा करो। अनिरुद्ध की बात सुनकर बुद्धिमानों में श्रेष्ठ राजा हेमांगद ने अपने पुत्र को राज्य देकर प्रसन्नतापूर्वक उनके साथ जाने का विचार किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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