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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
5.भगवान के अवतार का प्रयोजन
इस प्रकार यहाँ कुछ अवतार गिनाये गए। इनकें अलावा और भी बहुत-से अवतार हैं, ऋषभ देव आदि के ।
यहाँ जो असंख्य अवतार बताये गये हैं वे भगवान के कलावतार हैं, लेकिन कृष्ण भगवान तो साक्षात भगवान ही हैं- पूर्ण परमात्मा हैं। भगवान की कलाएँ जो कही जाती है, चार कला, पाँच कला, छः कला, आठ कला आदि, ये सब क्या होती है? इस बात को अच्छी प्रकार से समझ लेना चाहिए। इसको हम दृष्टान्त से समझ सकते हैं। जैसे 240 Volts पर चलने वाला एक टेपरेकॉर्डर लेकर उसमें 1000 वोल्ट की इलेक्ट्रिसिटी पास करें, तो क्या होगा? धुआँ! वह उस टेपरेकॉर्डर के लिए चिता हो जाएगा। वह पूरी तरह से जल जाएगा। क्यों? क्योंकि उस मशीन में उतने करंट को धारण करने की शक्ति ही नहीं हैं। अब भगवान का तेज तो अनन्त है। हमें समझाने के लिए कहा गया कि सोलह यूनिट- सोलह कला। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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